Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 18

Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 18

त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं
त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् |
त्वमव्यय: शाश्वतधर्मगोप्ता
सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे || 18||

श्रीमद भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 18 का हिंदी अनुवाद

Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 18: अर्थात अर्जुन भगवान को कहते हैं, आप ही जानने योग्य परम अक्षर (अक्षर ब्रह्म) हो। आप ही इस सकल विश्व के परम आश्रय हो। आप ही सनातन धर्म के रक्षक हो, और आप ही अविनाशी सनातन पुरुष हो – ऐसा में मानता हूं।

श्रीमद भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 18 का संक्षिप्त अर्थ

Bhagavad Gita Chapter 11 Verse 18

त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं : वेदो, शास्त्रों, पुराणों, स्मृतिओ, संतों की वाणी, और तत्वज्ञ जीवन मुक्त महापुरुषों द्वारा जानने योग्य जो परमानंद स्वरूप अक्षर ब्रह्म है जिसे निर्गुण निराकार कहते हैं वह आप ही हैं।

त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् : देखने में, सुनने में, और समझने में जो कुछ संसार आता है। उस संसार के परम आश्रम और आधार आप ही हो। जहां महाप्रलय होता है, वहां सारा संसार कारण सहित आप में ही लीन होता है। और फिर महासर्ग के आदि में आपसे ही प्रकट होता है। इस तरह आप इस संसार के परम निधान हो। इस पद द्वारा अर्जुन सगुन निराकार का वर्णन करके स्तुति करते हैं।

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त्वमव्यय: शाश्वतधर्मगोप्ता : जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब आप ही अवतार लेकर धर्म का नाश करके सनातन धर्म की रक्षा करते हो। इस पद द्वारा अर्जुन सगुण साकार का वर्णन करके स्तुति करते हैं।

अव्यय: सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे : अव्यय अर्थात अविनाशी, सनातन, आदिररहित और सदा रहने वाले उत्तम पुरुष आप ही हो, ऐसा में मानता हूं।

15 वे से 18 वे श्लोक तक आश्चर्यचकित करने वाले देव रूप का वर्णन करके अब अगले दो श्लोक में अर्जुन वे विश्व रूप की उग्रता, प्रभाव और सामर्थ्य का वर्णन करते हैं।

FAQ

गीता का दूसरा नाम क्या है?

गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है।

अर्जुन से पहले गीता का पवित्र ज्ञान किसके पास था?

अर्जुन से पहले गीता का पवित्र ज्ञान भगवान सूर्य के पास था।

धृतराष्ट्र को गीता कौन सुना रहा था?

धृतराष्ट्र को गीता संजय सुना रहा था।

भगवान कृष्ण को गीता पूरी करने में कितना समय लगा?

भगवान कृष्ण को गीता पूरी करने में लगभग 45 मिनट समय लगा।

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