क्या है मुंबा देवी मंदिर का मुंबई से गहरा नाता?

मुंबा देवी मंदिर

मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, अपने गगनचुंबी इमारतों, व्यस्त जीवनशैली और बॉलीवुड के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस शहर की पहचान का एक अहम हिस्सा है मुंबा देवी मंदिर। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि मुंबई के इतिहास और संस्कृति का भी प्रतीक है। आइए, इस मंदिर से जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जानते हैं।

क्या है मुंबा देवी मंदिर का मुंबई से गहरा नाता?

इस मंदिर का मुंबई से गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध है। मान्यता है कि मुंबई शहर का नाम ही इस मंदिर की देवी के नाम पर रखा गया है। 

इस देवी को मुंबई की संरक्षक देवी माना जाता है, और यह मंदिर शहर के मूल निवासियों, खासकर कोली समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। 

मंदिर की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई थी, और तब से यह शहर के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मुंबा देवी मंदिर में किसकी पूजा की जाती है?

इस मंदिर में मुंबा देवी की पूजा की जाती है, जिन्हें माता पार्वती का अवतार माना जाता है। मुंबा देवी को शक्ति और सुरक्षा की देवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में देवी की मूर्ति एक चबूतरे पर स्थापित है, जिसके सिर पर एक रौशनी वाला मुकुट है। देवी के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। मान्यता है कि देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

मुंबई का नाम इस देवी के नाम पर रखा गया है

मुंबई का नाम इस मंदिर की देवी के नाम पर रखा गया है। मूल रूप से इस शहर को मुंबा देवी का आई (मुंबा देवी की मातृभूमि) कहा जाता था, जो बाद में बदलकर मुंबई हो गया। यह नामकरण शहर के इतिहास और संस्कृति में इस देवी के महत्व को दर्शाता है। मुंबई के मूल निवासी, खासकर कोली मछुआरे, मुंबा देवी को अपनी संरक्षक देवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

मुंबा देवी मंदिर का इतिहास 

मुंबई के मुंबा देवी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है, जो प्राचीन किंवदंतियों और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। 

माना जाता है कि मंदिर का मूल स्वरूप 16वीं शताब्दी में कोली मछुआरों द्वारा स्थापित किया गया था, लेकिन मंदिर का वर्तमान स्वरूप 18वीं शताब्दी में बना है। 

इस दौरान, मंदिर को कई बार पुनर्निर्मित और विस्तारित किया गया है। मंदिर का इतिहास मुंबई शहर के विकास का साक्षी रहा है, और यह मुंबई के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मुंबा देवी को मुंबई शहर की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। 

माना जाता है कि उन्होंने कोली मछुआरों को समुद्री तूफानों और अन्य खतरों से बचाया था। मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और यात्रियों के वृत्तांतों में भी मिलता है।

मुंबा देवी मंदिर के पीछे की कहानी

किवदंती के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती से मछुआरे के रूप में पुनर्जन्म लेने की इच्छा जताई, ताकि वे भी मछुआरों की तरह दृढ़ता और एकाग्रता सीख सकें। 

देवी पार्वती ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मछुआरे का रूप धारण किया और मुंबा के नाम से जानी गईं। उन्होंने मछुआरों के गाँव में एक आश्रम बनाया और उनकी तरह ही मछली पकड़ने के व्यापार में लग गईं।

मछुआरों के मार्गदर्शन में दृढ़ता और एकाग्रता के कौशल में निपुणता प्राप्त की। बाद में, भगवान शिव ने भी एक मछुआरे का रूप धारण किया और मुंबा से विवाह किया। 

मछुआरों ने उनसे वहीं स्थायी रूप से रहने का अनुरोध किया और वे ग्राम देवी बन गईं। स्थानीय लोगों ने उन्हें “मुंबा आई” (मराठी में माँ) नाम दिया, और मुंबई शहर का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया।

मंदिर की वास्तुकला

प्राचीन भारतीय शिल्प कौशल और धार्मिक आस्था का एक सुंदर मिश्रण है। मंदिर की संरचना में मराठी शैली की झलक मिलती है, जो इसकी सादगी और भव्यता को दर्शाती है। 

देवी मुंबा की मुख्य मूर्ति, जो चांदी के मुकुट, सोने के हार और नाक की कील से सजी है, भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है। 

यह मूर्ति विशेष रूप से अपनी अनोखी विशेषता के लिए जानी जाती है, क्योंकि इसमें मुख का अभाव है, जो देवी की निराकार शक्ति का प्रतीक है।

मंदिर के अंदर, अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को दर्शाती हैं। 

मंदिर का शिखर, जो लाल ध्वज से सुशोभित है, दूर से ही दिखाई देता है और इसकी पहचान बनाता है। मंदिर के बाहरी हिस्से पर की गई बारीक नक्काशी, प्राचीन शिल्पकारों की कलात्मकता और समर्पण को दर्शाती है। 

मंदिर में प्रवेश करने वाला हर भक्त इसकी वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।

मुंबा देवी मंदिर के लोकप्रिय त्यौहार

जहाँ साल भर विभिन्न त्योहारों को धूमधाम से मनाया जाता है। इन त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि का त्योहार है, जो नौ रातों तक चलता है और देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मंदिर को रंगीन रोशनी और फूलों से सजाया जाता है, और भक्त गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं। 

नवरात्रि के दौरान, मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और देवी मुंबा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

दीपावली, जो रोशनी का त्योहार है, भी मंदिर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। मंदिर को दीयों और मोमबत्तियों से रोशन किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि, जो वसंत ऋतु में मनाई जाती है, भी मंदिर में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दौरान, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

मुंबा देवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय

इस मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है। नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है, इसलिए अगर आप शांति से दर्शन करना चाहते हैं, तो सुबह के समय जाना सबसे अच्छा रहेगा।

मुंबा देवी मंदिर के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य

इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन इसकी पूजा परंपरा कई सदियों पुरानी है।

मुंबई शहर का नाम इस मंदिर की देवी के नाम पर रखा गया है।

मंदिर में देवी की मूर्ति के सामने एक विशाल दीपक हमेशा जलता रहता है।

यह मंदिर मुंबई के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।

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