
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो गया है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करने आ रहे है। महाकुंभ के संगम में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा पंचकोसी परिक्रमा करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं पंचकोसी यात्रा और इसके फायदों के बारे में।
बुधवार को प्रयागराज की ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया। यात्रा में युवा भी शामिल हुए। विभिन्न स्थानों पर पंचकोसी परिक्रमा यात्रा का स्वागत किया गया, जो जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने दिशा निर्देशित और नेतृत्व किया था।
तीसरे दिन यात्रा का शुभारंभ संगम स्नान से हुआ। यमुन के पार लालापुर में प्राचीन मनकामेश्वर महादेव का चित्रण। बीकर गांव में पद्म माधव का दर्शन-पूजन हुआ। सुजावन देव मंदिर में दर्शन-पूजन करने के बाद पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि और ज्वाला देवी का दर्शन-पूजन किया गया। यात्रा ने ज्वालादेवी के दर्शन-पूजन के बाद त्रिवेणी मार्ग पर दत्तात्रेय शिविर में रात्रि विश्राम किया।
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श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा बहुत महत्वपूर्ण है। महाकुम्भ की पूजा करने वाले लोगों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन भर सुख-समृद्धि मिलती है। पंचकोसी परिक्रमा करने से काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति मिलती है, जैसा कि जगद्गुरु शंकराचार्य सुमेरूमठ काशी स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा।
भक्तों को पंचकोसी परिक्रमा करने से आत्मिक शांति मिलती है, श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर व श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा। भक्तों को पंचकोसी परिक्रमा करने से सभी तीर्थों को देखने का लाभ मिलता है। साथ ही पितर प्रसन्न होकर कृपा देते हैं। यात्रा में मुन्नी लाल पांडे, महामंडलेश्वर भवानी नंदन बाल्मीकि, प्राचीन देवी मंदिर दिल्ली गेट द्वारका पुरी के महंत गिरिशानंद गिरि महाराज भी शामिल थे।
क्या होती है पंचकोसी परिक्रमा?
पंचकोसी परिक्रमा प्रयागराज तीर्थ के आसपास लगभग 60 किलोमीटर (20 कोस) की यात्रा है। अंतर्वेदी, मध्य्वेदी और बहिर्वेदी ये तीन प्रमुख वेदियां हैं जो इस यात्रा में शामिल हैं। संगम, गंगा-यमुना के घाटों, तीर्थस्थलों, कुंभों और कई आश्रमों से घिरा हुआ यह क्षेत्र है।
महत्व:
महाकुंभ बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 144 वर्षों में पहली बार ऐसा संयोग हुआ है। महाकुंभ में संगम में स्नान करने और पंचकोसी परिक्रमा करने से न केवल व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि उसके परिवार और पितरों को भी पुण्य मिलता है। माना जाता है कि यह परिक्रमा करने से व्यक्ति को जीवन के अंतिम समय में शांति मिलती है।साधु-संतों के लिए भी पंचकोसी परिक्रमा का बहुत महत्व है। अखाड़ों के संत और नागा साधु भी इस परिक्रमा में भाग लेते हैं। तीर्थस्थलों के दर्शन और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव इस दौरान ज्ञान, विवेक और आत्मबल को बढ़ाता है।
कौन -कौन से है पंचकोसी परिक्रमा के प्रमुख स्थल ?
अंतर्वेदी, मध्य बेदी और बहिर्वेदी इस यात्रा में तीन प्रमुख वेदियां हैं। संगम, गंगा-यमुना के अंतर्वेदी, मध्य बेदी और बहिर्वेदी इस यात्रा में तीन प्रमुख वेदियां हैं। संगम, गंगा-यमुना के घाटों, तीर्थस्थलों, कुंभों और कई आश्रमों से घिरा हुआ यह क्षेत्र है। पंचकोसी परिक्रमा में प्रयागराज के कई पवित्र स्थान शामिल होते हैं, जिनकी धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।घाटों, तीर्थस्थलों, कुंभों और कई आश्रमों से घिरा हुआ यह क्षेत्र है। पंचकोसी परिक्रमा में प्रयागराज के कई पवित्र स्थान शामिल होते हैं, जिनकी धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।
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स्नान करने के बाद परिक्रमा शुरू होती है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं। देवी सती के शरीर का एक हिस्सा अलोप शंकरी मंदिर में गिरा इसलिए इसे शक्तिपीठ के रूप मे पूजा जाता है। पूजा जाता है। हनुमान मंदिर में भक्तों की आस्था का केंद्र है लेटे हुए हनुमान की सुंदर मूर्ति। त्रिवेणी घाट, जो संगम के निकट है, पूजन और ध्यान के लिए जाना जाता है, और भैरव मंदिर, जो भगवान भैरव को समर्पित है। ये सभी स्थान पवित्र हैं।
पंचकोसी परिक्रमा से मिलता है पुण्य
यह परिक्रमा आपके पापों को दूर कर सकती है। स्नान के बाद ये परिक्रमा करने से व्यक्ति को मोक्ष और पापों से छुटकारा मिलता है।व्यक्ति को महाकुंभ की पंचकोसी परिक्रमा करने से धन, वैभव और समृद्धि मिलती है। मनुष्य इस परिक्रमा के दौरान अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकता है और ईश्वर की भक्ति बढ़ा सकता है। ईश्वर की भक्ति में ध्यान देना इस परिक्रमा का एक लाभ है।माना जाता है कि पंचकोसी परिक्रमा करने से व्यक्ति न केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के लिए भी लाभदायक हो सकता है; यदि आप भी महाकुंभ में स्नान करने जा रहे हैं, तो पंचकोसी परिक्रमा करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
परिक्रमा का सही समय
महाकुंभ स्नान के बाद पंचकोशी परिक्रमा शुरू होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह परिक्रमा सुबह के समय शुरू करना चाहिए क्योंकि इस समय वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है और शुद्धता का अनुभव होता है। नियमों और अनुशासन का पालन करना परिक्रमा पूरी करने के दौरान बहुत महत्वपूर्ण है।
पंचकोसी परिक्रमा क्या होती है?
पंचकोसी परिक्रमा प्रयागराज तीर्थ के आसपास लगभग 60 किलोमीटर (20 कोस) की यात्रा है। अंतर्वेदी, मध्य्वेदी और बहिर्वेदी ये तीन प्रमुख वेदियां हैं जो इस यात्रा में शामिल हैं।
पंचकोशी परिक्रमा का सही समय क्या है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह परिक्रमा सुबह के समय शुरू करना चाहिए क्योंकि इस समय वातावरण सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है और शुद्धता का अनुभव होता है।
पंचकोसी परिक्रमा के प्रमुख स्थल क्या है?
अंतर्वेदी, मध्य्वेदी और बहिर्वेदी इस यात्रा में तीन प्रमुख वेदियां हैं।
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