Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9

क्या बिना स्वार्थ के काम करना आज भी जरूरी है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 9 यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन: |तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्ग: समाचर || 9 || अर्थात भगवान कहते […]

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क्या कर्म किए बिना जीवन संभव है? गीता का उत्तर क्या है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 8 नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण: | शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मण: ||

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7

क्या मन से इन्द्रियों को वश में कर कर्म करना ही सच्चा योग है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 7 यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन |कर्मेन्द्रियै: कर्मयोगमसक्त: स विशिष्यते || 7 || अर्थात भगवान कहते हैं,

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6

क्या केवल मन में भोग की कल्पना करना भी पाप है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन् |इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचार: स उच्यते || 6 || अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5

क्या मनुष्य बिना कर्म के रह सकता है?

Bhagavad gita Chapter 3 Verse 5 न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् |कार्यते ह्यवश: कर्म सर्व: प्रकृतिजैर्गुणै: || 5 || अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 4

क्या कर्म किए बिना निष्कर्मता और सिद्धि संभव है?

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 4 न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते |न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति || 4 || अर्थात भगवान कहते

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Sawan 2025 Start Date

Sawan 2025 Start Date: कब है सावन का पहला सोमवार, जानें डेट और महत्व

सावन मास (Sawan 2025) भगवान शिव को समर्पित सबसे पावन महीनों में से एक है। इस पूरे माह में श्रद्धालु

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 3

कौन सा मार्ग श्रेष्ठ है – ज्ञानयोग या कर्मयोग?

Bhagavad gita Chapter 3 Verse 3 श्रीभगवानुवाच |लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ |ज्ञानयोगेन साङ्ख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् || 3 || अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 3 Verse1 2

अगर ज्ञान श्रेष्ठ है तो फिर कर्म क्यों करें?

Bhagavad gita Chapter 3 Verse 1 and 2 अर्जुन उवाच |ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन |तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव

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Ashadha Amavasya Vrat Katha 2025

Ashadha Amavasya Vrat Katha 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

आषाढ़ अमावस्या हिंदू धर्म में पितृ तर्पण और नए शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी

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Bhagavad Gita Chapter 2 Verse 72

क्या अंतिम समय में भी शांति पाई जा सकती है?

Bhagavad gita Chapter 2 Verse 72 एषा ब्राह्मी स्थिति: पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति |स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति || 72 || अर्थात भगवान

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