Bhagavad Gita

Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 28 29 30

अर्जुन का युद्ध से पीछे हटना – भय या करुणा? क्या कहते हैं ये श्लोक?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 28 29 30 अर्जुन उवाच |दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् || 28 ||सीदन्ति मम गात्राणि […]

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 26 27

क्या अर्जुन का युद्ध न करने का विचार धर्म विरुद्ध था? गीता क्या कहती है?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 26 27 तत्रापश्यत्स्थितान् पार्थ: पितृ नथ पितामहान् |आचार्यान्मातुलान्भ्रातृ न्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा || 26||श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि |तान्समीक्ष्य स कौन्तेय:

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 24 25

अर्जुन का मोह जागृत करने के पीछे भगवान श्री कृष्ण का क्या उद्देश्य था?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 24 25 सञ्जय उवाच |एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत |सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् || 24 ||भीष्मद्रोणप्रमुखत: सर्वेषां

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 23

अर्जुन ने दुर्योधन को ‘दुर्बुद्धि’ क्यों कहा? भगवद गीता के इस रहस्य को जानें!

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 23 योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागता: |धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षव: || 23 || Shrimad Bhagavad Gita Chapter

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 21 22

भगवद गीता में अर्जुन के युद्ध से पहले के विचार क्या थे?

अर्जुन उवाच |सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत || 21|| यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् |कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे || 22|| Bhagavad Geeta Chapter 1

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 20

हनुमान जी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर क्यों विराजमान थे?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 20 अथ व्यवस्थितान्दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वज: |प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डव: ||20||हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते | Bhagavad

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 19

कैसे पांडवों ने अपनी शंख ध्वनि से कौरवों के हृदय चीर दिए?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत् |नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलोऽभ्यनुनादयन् || 19 || Bhagavad Geeta

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 17 18

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 17 18 महाभारत युद्ध में शंखनाद का रहस्य और योद्धाओं की भूमिका

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 17 18 काश्यश्च परमेष्वास: शिखण्डी च महारथ: |धृष्टद्युम्नो विराटश्च सात्यकिश्चापराजित: || 17 ||द्रुपदो द्रौपदेयाश्च सर्वश:

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Bhagavad Gita Chapter 15 16

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 15 16 महाभारत के शक्तिशाली शंखों का रहस्य

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 15 16 पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय: |पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदर: || 15 ||अनन्तविजयं राजा

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 14

क्या है अर्जुन के दिव्य रथ और शंख का रहस्य?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 14 तत: श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ |माधव: पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतु: || 14 || अर्थात

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 13

क्या भीष्म पितामह ने वास्तव में युद्ध की घोषणा के लिए शंख बजाया था?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 13 तत: शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा: |सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् || 13 || अर्थात भीष्म जी के

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Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 12

भीष्म के शंखनाद का रहस्य: क्यों गूंज उठी कुरुक्षेत्र की भूमि?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 12 तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्ध: पितामह: |सिंहनादं विनद्योच्चै: शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् || 12 || अर्थात संजय

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