क्या अर्जुन का भय केवल मृत्यु का था या धर्म के पतन का?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 40

कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्मा: सनातना: |
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत || 40 ||

Shrimad Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 40 Meaning

अर्थात अर्जुन कहते है, कुल का नाश होने से सदा से चलते आ रहे हैं, कुल के धर्म का नाश हो जाता है, और धर्म का नाश होने से (बचे हुए) पूरे कुल को अधर्म दबा देता है।

क्या अर्जुन का भय केवल मृत्यु का था या धर्म के पतन का?

Bhagavad Gita Chapter 1 Shloka 40 Meaning in hindi

कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्मा: सनातना:

जब युद्ध होता है, तो उसमें कुल का नाश होता है, जब से कुल का आरंभ हुआ है, तब से कुल का धर्म अर्थात कुल की पवित्र परंपराएं, पवित्र रीति, भी परंपरा से चलती आ रही है। परंतु जब कुल का नाश हो जाता है, तब हमेशा से चलते आ रहे कुल के साथ धर्म भी नाश पामेंगे।

धार्मिक रीति-रिवाज का प्रभाव:

अर्थात जन्मों के समय, ब्राह्मण के संस्कार के समय, विवाह के समय, मृत्यु के समय, और मृत्यु के बाद करने में आते, जो जो शास्त्रीय पवित्र रीति रिवाज हैं की, जो जीते हुए और मृत्यु पामे हुए मनुष्य के लिए इस लोक में और परलोक में कल्याण करने वाले होते हैं, वही नष्ट हो जाएंगे क्योंकि जब कुल का ही नाश हो जाएगा l, तब कुल के आधार पर टिकने वाला धर्म किसके आधार पर रहेगा?

धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत:

जब कुल की पवित्र मर्यादाओं, पवित्र आचरण, नाश पामेंगे तब धर्म का पालन नहीं करना, और धर्म से विरोध काम करना अर्थात करने योग्य कार्य नहीं करना, और नहीं करने योग्य कार्य करने रूपी अधर्म समग्र कुल को दबा देता है, अर्थात समग्र कुल में अधर्म फैल जाएगा।

जब कुल ही नहीं रहेगा तो अधर्म किस पर अत्याचार करेगा?

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अब, किसी को संदेह हो सकता है कि जब कुल नष्ट हो जाएगा, जब कुल का अस्तित्व ही नहीं रहेगा, तब अधर्म द्वारा किस पर अत्याचार होगा? इसका उत्तर यह है कि जो लोग लड़ने के योग्य होते हैं वे युद्ध में मारे जाते हैं, लेकिन जो लोग लड़ने के योग्य नहीं होते वे भी मारे जाते हैं! इस बीच, ऐसे बच्चे और महिलाएं अधर्म के कारण उत्पीड़ित होकर पीछे छूट जाते हैं। क्योंकि जब शस्त्र, शास्त्र, साधना आदि के जानकार और अनुभवी पुरुष युद्ध में मर जाते हैं, तो जीवित बचे लोगों को अच्छी शिक्षा और अनुशासन देने वाला कोई नहीं बचता। इसलिए, सीमाओं और व्यवहार के ज्ञान के अभाव में, वे मनमाना व्यवहार करने लगते हैं, अर्थात वे सही काम न करके गलत काम करने लगते हैं। इसी कारण उनमें अधर्म फैलता है।

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FAQs

कुल के नाश से अधर्म कैसे फैलता है?

जब धर्म सिखाने वाले ज्ञानी और अनुभवी लोग मारे जाते हैं, तो समाज में अनुशासन और सीमाओं का ज्ञान नहीं रहता, जिससे लोग अधर्म के मार्ग पर चलने लगते हैं।

अधर्म का प्रभाव किन पर पड़ता है?

अधर्म का प्रभाव विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं पर पड़ता है, क्योंकि वे पीछे छूट जाते हैं और उनकी रक्षा व मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं बचता।

इस श्लोक का आधुनिक संदर्भ में क्या महत्व है?

यह श्लोक बताता है कि किसी समाज की नैतिकता और संस्कृति बनाए रखने के लिए उसका संरचनात्मक ढांचा और संस्कार बहुत जरूरी हैं। जब ये टूटते हैं, तो अधर्म बढ़ता है।

सनातन धर्म और हिंदू धर्म में क्या अंतर है?

सनातन धर्म को ही प्राचीन काल में हिंदू धर्म कहा जाने लगा। हिंदू धर्म, सनातन धर्म की ही सामाजिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।

सनातन धर्म में मोक्ष का क्या महत्व है?

मोक्ष का अर्थ है जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति। यह सनातन धर्म का परम लक्ष्य है — आत्मा का परमात्मा में विलय।

सनातन धर्म का सबसे पुराना ग्रंथ कौन-सा है?

ऋग्वेद, जो चार वेदों में सबसे प्राचीन है, सनातन धर्म का मूल और सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है।

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