.jpeg)
भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा महाकुंभ स्नान पर्व है, जिसमें दुनिया भर से श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम पर अपनी आस्था का स्नान करने आते हैं। यह त्योहार मकर संक्रांति पर अमृत स्नान से शुरू होता है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा महाकुम्भ का आयोजन , जिसमें अलग-अलग महत्वपूर्ण स्नान तिथियों को विशेष धार्मिक महत्व दिया जाएगा। जिन तिथियों पर स्नान किया जाता है, उसे अमृत स्नान कहा जाता है, जो धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और पाप कर्मों को दूर करने का एक साधन है।
Also read: महाकुंभ: 11 दिनों में लाखों श्रद्धालुओं का संगम में स्नान
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का अगला बड़ा स्नान होगा। इस दिन बहुत पवित्र है क्योंकि यह मौनी अमावस्या के दिन है । धार्मिक मत है कि इस दिन संगम पर अमृत स्नान करने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है।
क्या है मौनीअमावस्या का महत्व ?
हमारे हिन्दू धर्म मे अमावस्या के दिन को बहुत पवित्र माना जाता है। यह तिथि कृष्णपक्ष के पंद्रहवें दिन को हर महीने आती है। मौनी अमावस्या माघ के महीने के कृष्णपक्ष को पड़ती है। जो भी लोग मौनी अमावस्या के दिन स्नान करते है उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके सभी पाप धुल जाते है।
मौनी अमावस्या की निश्चित तिथि कब है ?
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 35 मिनट पर मौनी अमावस्या की तिथि शुरू होगी। 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 5 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। यही कारण है कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इसी दिन महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा और मौनी अमावस्या का व्रत भी रखा जाएगा।
स्नान का मुहूर्त:
29 जनवरी को सूर्योदय से मौनी अमावस्या का शाही स्नान शुरू होगा और दिन भर चलेगा। विद्वानों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से एक लाख गंगा स्नान के बराबर लाभ मिलता है।
मुहूर्त: सुबह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।
उत्तम समय: सुबह 5:00 से 7:00 बजे के बीच।
मौनी अमावस्या के खास होने का कारण :
अमावस्या धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। इस दिन को संगम में स्नान करने और मौन व्रत का पालन करने का विशेष दिन माना जाता है।
- इस दिन संगम में स्नान करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं। यह दिन ऋषि-मुनियों और देवताओं के लिए भी पूजनीय है।
- मौनी अमावस्या पर जो वयक्ति शांत व मौन रहकर भगवान का ध्यान करता है उससे उसके मन को शांति मिलती है और आत्मशुद्धि होती है।
- स्नान करते समय गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान करना शारीरिक और आत्मिक दोनों को शुद्ध करता है। यह दिन मोक्ष की ओर बढ़ने का प्रतीक है।
मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं की होगी अपार भीड़
मौनी अमावस्या के दिन, जब पूरा भारत एक साथ मिलकर अपने पापों को धोने और अपने जीवन को शुद्ध करने के लिए एकत्रित होता है तो उस दिन अपार भीड़ देखने मिलती है । यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य होता है।
पवित्र नदियों के किनारे मौनी अमावस्या के दिन लोग एकत्रित होते हैं, अपने पापों को धोने और अपने जीवन को शुद्ध करने के लिए। यह महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता, भगवान विष्णु को समर्पित है।
Also Read: संगम तक जाने के लिए करनी होगी 10-15 किलोमीटर की पैदल यात्रा
श्रद्धालु मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं और दान करते हैं। यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको आत्म-शुद्धि और आत्म-विकास करने का अवसर देता है।
मौनी अमावस्या के लिए प्रबंद व सुरक्षा
यदि आप मौनी अमावस्या के पवित्र अवसर पर महाकुंभ मेले में भाग लेने की सोच रहे हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें जाननी चाहिए. 29 जनवरी को संगम नगरी प्रयागराज में 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, और यूपी सरकार ने इस भारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा देने के लिए खास उपाय किए हैं।
पूरे मेला परिसर को “नो व्हीकल-नो VIP जोन” कहा गया है। इसका अर्थ है कि निर्धारित पार्किंग क्षेत्र के बाद किसी भी वाहन को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यहां तक कि इस खास दिन पर किसी वीआईपी प्रोटोकॉल को मान्यता नहीं दी जाएगी।
यदि आप जानना चाहते हैं कि महाकुम्भ में करोड़ों की भीड़ का आंकलन कैसे किया जाता है, तो इस रोचक तकनीक को जानने के लिए click here..
पवित्र संगम और आसपास की जगहों में सुरक्षा के लिए भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। पंटून पुलों पर श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए कुछ विशिष्ट नियम लागू किए जा सकते हैं।
अखाड़ों पर विशेष व्यवस्थाएं देखने मिलेंगी
महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर 13 बड़े अखाड़ों के साधुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। शाही और अमृत स्नान के दौरान अखाड़ों को सर्वोच्च स्थान मिलेगा। भक्तों को इन इलाकों में पहले से स्लॉट बुक करना होगा क्योंकि अंतिम समय पर किसी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
यूपी सरकार ने रेलवे के साथ मिलकर ट्रेन और यात्रा सुविधाओं के लिए विशिष्ट कार्यक्रम बनाया है। नौ रेलवे स्टेशनों पर 150 विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी। यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि हर चार मिनट में एक ट्रेन होगी। अयोध्या, वाराणसी और अन्य धार्मिक स्थानों पर भीड़ का अनुमान मौनी अमावस्या के दौरान प्रयागराज, अयोध्या और वाराणसी जैसे धार्मिक स्थानों पर भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मकर संक्रांति पर 7.41 लाख लोग आए, लेकिन मौनी अमावस्या पर यह संख्या चार गुना हो सकती है।
क्या आप जानना चाहते हैं नागा साध्वियों के जीवन और उनकी साधना के रहस्यों के बारे में? पूरा लेख यहाँ पढ़ें।
FAQs:
1. मौनी अमावस्या क्या होती है ?
मौनी अमावस्या माघ के महीने के कृष्णपक्ष को पड़ती है। जो भी लोग मौनी अमावस्या के दिन स्नान करते है उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके सभी पाप धुल जाते है।
2. मौनी अमावस्या का क्या महत्व है?
मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए है क्योंकि यह दिन आत्म-विकास और
आत्म की शुद्धि करने के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
3. मौनी अमावस्या के दिन क्या – क्या करते है?
मौनी अमावस्या के दिन, पूजा -अर्चना करते हैं , दान-पुण्य करते हैं और
श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं |
4. मौनी अमावस्या के दिन कौन – कौन सी नदियाँ है जिनमे स्नान किया जाता है?
मौनी अमावस्या के दिन, श्रद्धालु यमुना ,गंगा ,सरस्वती और गोदावरी जैसी नदियों में स्नान करते हैं।
5. मौनी अमावस्या किस देवता से सम्बंधित है?
मौनी अमावस्या भगवान विष्णु से सम्बंधित है, जो हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं।